भगवद्गीता के उपदेश

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      ।।   श्री कृष्णम शरणं ममः।।
     🔴आज का प्रातः संदेश🔴

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                 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। और प्रत्येक मनुष्य को इस समाज में जिंदा रहने एवम अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए एक दूसरे निर्भर रहना पड़ता है। प्रत्येक मनुष्य कभी न कभी दूसरे मनुष्य की सहायता करता अवश्य है। जब दो व्यक्ति कंही साथ बैठते है या साथ रहते है तो उन पर एक -दूसरे का अच्छा या बुरा प्रभाव अवश्य पड़ता है। मनुष्य जिस प्रकार के मनुष्यों के साथ उसके स्वभाव का प्रभाव अवश्य पड़ता है।यदि उसकी संगत बुरे लोगों के साथ है तो वह चाहे जितने अच्छे स्वभाव का हो एक दिन वह बुराई उसके अंदर भी आने लगती है।
       और अच्छी संगत में बुरा मनुष्य भी अच्छाई के मार्ग का अनुसरण करने लगता है।
      कहते है कि व्यक्ति योगियों के साथ योगी और भोगियो के साथ भोगी बन जाता है।। व्यक्ति को जीवन के अंतिम छड़ो में गति भी उसकी संगीत के अनुसार ही मिलती है।
     संगत का जीवन मे बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है।।  संगत से मनुष्य जंहा महान बनता है,वहीं बुरी संगत उसका पतन भी करती है।
         छत्रपति शिवाजी बहादुर बने ,ऐसा इसलिए ,क्योंकि उनकी माँ ने उन्हें वैसा वातावरण दिया ।
माता पिता के साथ -साथ बच्चे पर स्कूली शिच्छा का गहरा प्रभाव  पड़ता है। कई बार व्यक्ति पढ़ाई -लिखाई करके उच्च पदों पर पहुच तो जाता है,लेकिन संस्कारो के अभाव में ,सही संगति न मिलने के कारण वह अपने पद के अनुरूप आचरण नही कर पाता है।।
     
      सदाचरण के पालन से चाहे तो व्यक्ति ऐसा बहुत कुछ कर सकता है,जिससे उसका जीवन सार्थक हो सके ,परन्तु सदाचरण का पालन न करने से वह अंततः खोखला हो जाता है। हो सकता है  कि  चोरी -बेईमानी आदि करके वह धन कमा ले,कुछ समय के लिए पद-प्रतिष्ठा अर्जित कर ले,लेकिन  उसका अंत बुरा ही होता है। सत्संगति का, अच्छे विचारों का बीज बच्चे के मन में बचपन में ही बो देना चाहिए ।
    व्यक्ति की अच्छी संगति से उसके स्वयम का परिवार तो अच्छा होता ही है,साथ ही उसका प्रभाव समाज व राष्ट्र पर भी  गहरा पड़ता है। जंहा अच्छी संगति  व्यक्ति को कुछ नया करते रहने की समय समय पर प्रेरणा देती है, वही बुरी संगति से व्यक्ति गहरे अंधकूप में गिर जाता है।
             अच्छी संगति व्यक्ति का मन व चित्त निर्मल करती है।उसकी प्रसन्नता बनी रहती है।दिन प्रतिदिन उसके व्यक्तित्व में निखार आता है।संगति कैसी है, इस बात से व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है ।जीवन का हर कदम मायने रखता है।
          इसलिए उसे फूंक -फूंककर आगे बढ़ना चाहिए ।अक्सर ऐसा देखने मे आता है कि कुछ बच्चे स्कूलों में पढ़ाई -लिखाई  में बहुत अच्छे होते है,लेकिन बुरी संगति में फंसकर नशा या मद्यपान करने लगते है। उनका जीवन बर्बाद हो जाता है।।
            वे झूठी चकाचौंध में फंसकर स्वयं की वास्तविक शक्ति को नही पहचानते हैं। कई बार सत्संगति न मिलने के कारण उपयुक्त वातावरण न होने के चलते बच्चा अपनी प्रतिभा का विकास नही कर पाता है। जबकि 
सत्संगति से उसमे अटूट विश्वास जगता है और वह अपने लछ्य को प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है।

        मनुष्य को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए ।क्योंकि उसकी संगति ही उसके जीवन की दिशा तय करती है।


     🙏🙏🌸जय श्री कृष्णा🌸🙏🙏
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