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जून 17, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
हास्य कविता
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😀😀😀😀😀😀😀 अक्ल बाटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी । सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी । पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया, एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी । उधर विधाता ने पुरूषों में, अक्ल बाँट दी सारी । ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर, जब पहुँची सब नारी । बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है, नहीं अक्ल अब बाकी । रोने लगी सभी महिलाएं , नींद खुली ब्रह्मा की । पूछा कैसा शोर हो रहा है, ब्रह्मलोक के द्वारे ? पता चला कि स्टॉक अक्ल का पुरुष ले गए सारे । ब्रह्मा जी ने कहा देवियों , बहुत देर कर दी है । जितनी भी थी अक्ल वो मैंने, पुरुषों में भर दी है । लगी चीखने महिलाये , ये कैसा न्याय तुम्हारा? कुछ भी करो हमें तो चाहिए, आधा भाग हमारा । पुरुषो में शारीरिक बल है,