सनातन परिवार

   *इस संसार का सबसे श्रेष्ठ एवं अनोखा प्राणी है मनुष्य | मनुष्य के क्रियाकलाप ही उसकी व्यवहारिकता का द्योतक माना जाता है | प्रत्येक मनुष्य के क्रियाकलाप उसकी मनोदशा के ऊपर निर्भर करते हैं | मनुष्य की मनोदशा (जिसे आज की भाषा में मूड कहा जा सकता है ) सदैव एक सी नहीं रहती है | परन्तु जब मनुष्य की मनोदशा ठीक होती है तो वह स्वयं के साथ दूसरों को भी प्रसन्न रखने का पूरा प्रयास करता है परंतु यदि कहीं मनोदशा बिगड़ गयी तो समझ लो कल्याण नहीं है | व्यक्ति की मनोदशा को बदलते देर नहीं लगती | पल भर में कभी यह बहुत अच्छी होती है और दूसरे ही पल कब बिगड़ जाय कोई पता नहीं | छोटी - छोटी बातें ही किसी अच्छे से बीत रहे दिन की खुशियाँ छीन लेती हैं | कई बार तो ऐसा भी होता है कि मनुष्य स्वयं नहीं जान पाता कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे हमारी मनोदशा बिगड़ गयी | प्रत्येक व्यक्ति की मनोदशा उसके विचारों पर निर्भर करती है | यदि मनोदशा खराब हो जाती है तो मन में बुरा एहसास कराने वाले विचारों की एक लम्बी कड़ी बनने लगती है | उस समय व्यक्ति को ऐसा आभास होने लगता है जो कि नहीं होना चाहिए | उस खराब मनोदशा में मनुष्य वह कह देता या कर देता है जो उसे न तो कहना चाहिए और न ही करना चाहिए | मनुष्य की खराब मनोदशा नकारात्मक विचारों का द्योतक कही गयी है | परंतु ऐसा नहीं है कि सकारात्मक विचार रखने वालों की मनोदशा नहीं खराब होती | मनोदशा किसी की भी बिगड़ सकती है , इसका अति सूक्ष्म कारण भी कारक बन जाता है |*

*सबसे पहले यह जरूरी है कि उन कारणों को जानने का प्रयास किया जाए जिसके कारण मनोदशा बिगड़ रही है |  अक्सर मनुष्य अपनी गलती नहीं मान रहा होता है , कई बार दूसरों को ले करके मनुष्य अपने डर ही स्वयं पर प्रभावी कर लेता है जिसे वह स्वीकारता नहीं है और घबराता रहता है | कई बार ऐसा भी होता है कि जब मनुष्य की मनोदशा खराब होती है तो ऐसी बातें सोचने लगता है जो बिगड़ी हुई मनोदशा को और बिगाड़ती है  और उस समय वही बातें सही भी लगती हैं | ऐसे में आवश्यकता है कि मस्तिष्क को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाए ऐसा करने से उचित समय आने पर आप की मनोदशा स्वयं ठीक हो जाएगी | मनोदशा बिगड़ने पर यदि मन ना हो तो भी मुस्कुराने की कोशिश किया जाए इस मुस्कुराहट को कुछ देर के लिए रोक कर रखें | अपने लिए अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करें | खराब मनोदशा पर कभी भी विश्वास न करें ! क्योंकि इस समय मनुष्य जो देख रहा होता है वह सही नहीं होता है | कोई नुकसान ना हो इसलिए उचित यही है कि मनोदशा बिगड़ने पर कम बातें किया जाए , कोई फैसला न लिया जाए , और स्वयं को याद दिलाएं कि सब ठीक हो जाएगा | मनोदशा बिगड़ने पर अपने आत्मीय परिजनों से,  सुहृद बंधुओं से , या अपने मित्रों से विषय बदल कर यदि चर्चा की जाय तो यह हमारी मनोदशा को संभालने में सहयोगी सिद्ध होता है |*

*खराब मनोदशा या बिगड़ा हुआ मूड मनुष्य को नकारात्मक कार्यों को करने के लिए उकसाता रहता है | अत: प्रत्येक मनुष्य को मन या मनोदशा खराब होने पर नकारात्मकता से बाहर निकलकर स्वयं को तरोताजा बनाने का प्रयास करना चाहिए |*

🌹🌹 *जय श्री हरि*🌹🌹

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